Saturday, April 18, 2015

पहला कदम :स्वच्छता की ओर

       







    

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                      पहला कदम :स्वच्छता की ओर 

 दोस्तों मेरा ये लेख एक नयी लोकतान्त्रिक पहल की निष्पक्ष विवेचना है जो प्रत्येक नागरिक की लोकतंत्र में भागीदारी के महत्त्व को दर्शाता है साथ ही आईना है उन लोगों के लिए जो सिर्फ criticism  की राजनीति करते हैं और अपेक्षा करते है परिवर्तन की !साथ में मेरा ये लेख सलामी है मेरे एक छोटे से जिले अलवर के कुछ युवा साथियो के जज्बे की जो निष्काम कर्म के द्वारा समाज को एक दृस्टि देने और कर्मठता पाठ पढ़ाने  में सफल रहे !
बात शुरू होती है भारत में सन  २०१५ के लोकसभा चुनावो के परिणामो से जिसमे श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ी जीत दर्ज की ! जैसे ही नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कमान संभाली वैसे ही सरकार द्वारा जनता के समक्ष कैसे सरकार की visibility show  की जाए इस परिपेक्ष में मंथन शुरू हुआ और आनन -फानन जो पहला अभियान शुरू हुआ वो था स्वच्छ भारत अभियान !
शायद इस अभियान की शुरूवात करने से पहले मोदी सरकार को भी अंदाजा नहीं भारत में स्वच्छ्ता के इस सवाल की गंभीरता का ! वाहवाही लूटने की राजनीतिक मंशा से शुरू किया गया ये अभियान ही मोदी सरकार के गले की फांस सिद्ध हुआ !
भारत  जैसे इतनी बड़ी जनसँख्या का देश जहाँ waste management की हालत किसी से छुपी नहीं है इसके अलावा  बड़ी और गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की जनसँख्या के लिए शौचालयों की भारी कमी साथ ही देश की municipal councils  और  municipalities में कर्मठता का आभाव एवं भ्रस्टाचार तथा एक लंबे समय से सरकार द्वारा हाशिये पर छोड़ दिए गए सफाई कर्मी इसके अतरिक्त सफाई के क्षेत्र में वही पुराने तरीको का इस्तेमाल आदि ,सफाई क्षेत्र में इतनी सारी कमियों के चलते भारत को स्वच्छ्ता के पैमानों पर यूरोप के देशो के समतुल्य खड़ा करना कोई आसान काम नहीं है ये बात नरेन्द्र मोदी सरकार को देरी से समझ आई !परन्तु इस सरकारी अभियान ने स्वच्छ्ता के क्षेत्र में पूरे देश में एक नयी बहस तो छेड़ ही दी !
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत होते ही स्वच्छ्ता के इस सवाल पर राजनीति का एक नया दौर शुरू हुआ !
राजनीति करने वालों में प्रमुख थी वह विपक्षी पार्टियां जिन्हे स्वच्छ्ता के सवाल से कोई मतलब नहीं था अपितु  इनका मकसद था नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करके अपने राजनीतिक स्वार्थ को सिद्ध करना !
दूसरे स्थान पर थे वे तथाकथित सामजिक कार्यकर्ता जो समाज के ठेकेदार होने का दम्भ भरते है !बड़ी बड़ी बाते करना और सिर्फ सरकार को घेरना जिनका काम रहता है ,परन्तु  उनसे कर्मठ योगदान और सक्रिय रूप से जमीन पर अपने आप को  साबित करने की अपेक्षा  करना व्यर्थ की  की बात है   !
तीसरे स्थान पर थे भारतीय लोकतंत्र के वो सामान्य जन जिनको चाय की चुस्किया लेते हुए सिर्फ सरकार को कोसने में ही मज़ा आता है परन्तु अगर उनसे  लोकतंत्र में सक्रीय भागीदारी की बात करो तब उनकी सिर्फ उपेक्षा ही मिलती है !
ऐसी परिस्थिति में देश में हो रही इस अकर्मठता की राजनीति से बेखबर राजिस्थान के एक छोटे से जिले अलवर के कुछ युवाओ ने अपने प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने की ठानी !इसके अंतर्गत अलवर के इन जोशीले युवाओ ने helping hands alwar  के नाम से एक संस्था का गठन किया जिसके अंतर्गत इन लोगो ने   clean alwar movement की  शुरुवात की जिसके मिशन के तौर पर  इन लोगो ने पूरे अलवर शहर को साफ़ करने का बीड़ा उठाया !
इस आंदोलन के अंतर्गत इन युवा स्वयंसेवको ने प्रत्येक रविवार को अलवर शहर के किसी एक सार्वजिनिक स्थान पर साफ़ सफाई करने का एक नियम निर्धारित किया !साथ ही साथ अपने इस अभियान के अंतर्गत इन युवाओ ने स्कूल के विध्यार्थियों को साफ़ सफाई के अपने इस अभियान से जोड़ा !
१९ अप्रैल २०१५  को इन युवा साथियोँ ने अपने साफ़ सफाई के इस अभियान के २४ सप्ताह पूरे  किये !अगर देखा जाए तो ये प्रयास पूरे  भारत को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक छोटा सा कदम है किन्तु मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा उन नए आयामो की ओर जिन्हे अपने सतत संघर्ष के द्वारा इन युवाओं ने clean alwar movement के अंतर्गत स्थापित करके दिखा दिया है !
पहला सबसे बड़ा काम इन युवाओ ने सफाई का किया !अलवर के बहुत से क्षेत्रो में इन लोगों ने जिस तरह से सफाई की वो दर्शनीय थी !उन क्षेत्र  के लोगों को इनके द्वारा फैलाई कई स्वच्छ्ता से जो लाभ हुआ वो सहराना के काबिल है !
दूसरा बड़ा काम इन युवाओ के द्वारा ये हुआ की इनकी कर्मठता और सतत संघर्ष की भावना को देखकर अलवर जिले के नागरिकों में भी संवेदना प्रकट हुई तथा अलवर जिले के लोग भी अपने आसपास स्वच्छ्ता बनाये रखने की दृस्टि से और भी अधिक जागरूक हुए !
तीसरा बड़ा काम इन लोगों ने स्कूली छात्रों को अपने साथ जोड़कर किया ! स्कूल के बच्चो को अपने  साथ इस स्वच्छ्ता अभियान से जोड़कर इन युवाओं ने  इन बच्चो के भविष्य में स्वच्छ्ता की दृस्टि से जागरूक और प्रतिबद्ध नागरिक बनने की भूमिका तैयार कर दी !
यहाँ इस लेख को लिखने का मेरा मूल उद्देश्य इन युवाओ के भारत को स्वच्छ बनाने के तरीके की वकालत करना नहीं है !साथ ही  यहाँ मेरा उदेश्य भारत सरकार के स्वच्छ्ता की दृस्टि से चलाये गए इस स्वच्छ भारत अभियान और उसके तौर  तरीको की वकालत करना भी  नहीं है !यहाँ पर मेरा उद्देश्य उन सवालो को पीछे धकेलना भी नहीं है जो भारत को सदा सदा के लिए स्वच्छ ,निर्मल और स्वस्थ बनाने के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है !अपितु मेरा ये लेख कटाक्ष है उन राजनीतज्ञों ,उन सामजिक कार्यकर्ताओ तथा उन निष्क्रिय भारतीय नागरिको पर जिनका मूल उद्देश्य स्वच्छ्ता नहीं अपितु स्वच्छ्ता पर राजनीति करना है ! हाँ  मै भी इस बात की वकालत करता हूँ की भारत की गन्दिगी का कारण यहाँ के नागरिको की गलत आदतों की अपेक्षा वो सरकारी तंत्र अधिक है जिसने इन गलत आदतों को पलने पोसने दिया ,परन्तु मैं इस बात से भी इतेफाक रखता हूँ की स्वच्छ्ता के सवाल पर सरकार को कोसने का हक़ सभी को नहीं है !ये हक़ सिर्फ उन्ही लोगों को का है जिन्होंने स्वच्छ्ता के इस सवाल की गंभीरता को समझा तथा स्वच्छ्ता की दिशा में स्वयं पहल की !
मेरी दृस्टि में सरकारी  तंत्र  से स्वच्छ्ता के ऊपर सवाल पूछने का हक़ इन निष्क्रिय राजनीतिज्ञों,समाजशास्त्रीओं और बुद्धिजीवियों से कहीं अधिक इन जैसे युवा स्वयंसेवको का है , क्यूकि इन लोगों ने शुरुआत करी है खुद से, कयूकी सही मायनो में इन युवाओं ने ही उठाया है भारत को स्वच्छ बनाने की दिशा में पहला कदम !
                                       

      तू जिन्दा है तो जिंदगी की जात पर यक़ीन कर 
            हो कहीं भी स्वर्ग तो उतार ला जंमीं पर 

                           written by

                         yash sharma
      (with best wishes to helping hands alwar volunteers) 

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