"देश के नागरिको का एक ऐसा समूह जहाँ पर आकर प्रत्येक नागरिक समूह में अपनापन महसूस करे और अपनी पीड़ा को एक परिवार की भांति बाँट सके !"
एवं "विभिन्न विचारधाराओं के लोग भिन्न भिन्न क्षेत्रों में अपनी लड़ाई लड़ते हुए भी जनसंसद में अपनापन महसूस करते हों !"
जन संसद को वैकल्पिक राजनीति का प्लेटफार्म तो नहीं परन्तु सामाजिक राजनीति का विकल्प खोजने के प्रयास में तैयार किया गया है जिसे आज की सामाजिक आवश्यकता का विकल्प जरूर कह सकते हैं !
देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी बात रखने का पूर्ण अधिकार जन संसद देता है !
जन संसद क्यों ?
संसद का नाम तो आप ने काफी सुना होगा ! टीवी व अखबार के माध्यम से संसद में जूते -चप्पल उछालना, गाली- गलोच करना , यह सब संसद का मॉडल बन गया है !जबकि संसद का जो उद्देश्य था हमारे जन प्रतिनिधि उस उद्देश्य से भटक गए !जनता अपना जन प्रतिनिधि चुनकर संसद में भेजती है ताकि वह जनता की समस्याओं को संसद में रखे और जन कल्याणकारी योजनाओं को लागू करावे !लेकिन वे मुट्ठी भर लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बहुजन के हितों को भूल जाते हैं !और देश की जनता पांच वर्ष के लिए अपने को ठगा सा महसूस करती है ! देश की जनता पांच वर्ष का इन्तजार न करे और अपने एक- एक वोट का मूल्य चुकता करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम व्यक्ति को कैसे मिले व आगामी जन कल्याणकारी योजनाए बनवाने में आम व्यक्ति की भागिदारी को सुनिश्चित करने के लिए जनसंसद जरुरी है !
"हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊ
परन्तु विचार प्रकट करने के आपके अधिकारों की
रक्षा जान देकर भी करूँगा !":
[ वाल्तेयर ]
written by
वीरेन्द्र क्रान्तिकारी
[social activist in yuva bharat]

